समाज पर कवितावां

औमतौर सूं किणी संगठित

समूह नै समाज केय दियौ जावै पण उणरौ विमर्श लांबौ अनै महताऊ है। अठै संकलित रचनावां समाज सबद रै औळै-दौळै रचियोड़ी है।

कविता88

काळ

मणि मधुकर

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

सातवौं फेरौ

अर्जुन देव चारण

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुन देव चारण

बोल भारमली

सत्यप्रकाश जोशी

आँच ही आँच

मोहम्मद सदीक

जुद्ध

गोरधन सिंह शेखावत

साधू

त्रिभुवन

उमादे

अर्जुन देव चारण

जथारथ री छिब

चन्द्र प्रकाश देवल

म्हैं नीं हारी

चंद्रशेखर अरोड़ा

बाकी हिसाब

पारस अरोड़ा

झूठौ बणज

प्रेमजी ‘प्रेम’

आखड़ी

अर्जुन देव चारण

म्हूँ अछूत

मुकुट मणिराज

बाड़ अर गुलाब

गोरधन सिंह शेखावत

ब्रितांत

मणि मधुकर

देस

मोहन आलोक

बेटा

अशोक कुमार दवे

धीयां नै

सत्यप्रकाश जोशी

ओ कुण

मोहम्मद सदीक

अम्बा

अर्जुन देव चारण

साटिया री छोरी सूं

गोरधन सिंह शेखावत

ऊंडी भखारियां

अर्जुन देव चारण

अजै जूझणो पड़सी

मोहम्मद सदीक

सबद कोस

अर्जुन देव चारण

जाजम रै खिलाफ

अर्जुन देव चारण

बापू रौ बिलम

रेवतदान चारण कल्पित

पा’वणा

कल्याणसिंह राजावत

रेत अर लुगाई

प्रेमलता सोनी

दिवलौ

रघुराजसिंह हाड़ा

हित्या रौ उच्छब

अर्जुन देव चारण

ओळखाण

मणि मधुकर

बळीतौ

मणि मधुकर

ईसरलाल

मणि मधुकर

न्हारवौ

मणि मधुकर

लोकराज

मणि मधुकर

अंधारै रा घाव

पारस अरोड़ा

इतियास

अर्जुन देव चारण

होकड़ा उतार

मोहम्मद सदीक

टूटोड़ी भींत बता...

चंद्रशेखर अरोड़ा

अडवाणो

सत्यप्रकाश जोशी

नींद अर बातां

अर्जुन देव चारण

सफदर हासमी री मौत

गोरधन सिंह शेखावत

सुवाद

मणि मधुकर

घुड़दौड़

गोरधन सिंह शेखावत

उडीक

पारस अरोड़ा

भविस

मणि मधुकर