समाज पर कवितावां

औमतौर सूं किणी संगठित

समूह नै समाज केय दियौ जावै पण उणरौ विमर्श लांबौ अनै महताऊ है। अठै संकलित रचनावां समाज सबद रै औळै-दौळै रचियोड़ी है।

कविता61

बापू रौ बिलम

रेवतदान चारण कल्पित

पा’वणा

कल्याणसिंह राजावत

रेत अर लुगाई

प्रेमलता सोनी

हित्या रौ उच्छब

अर्जुन देव चारण

ओळखाण

मणि मधुकर

बळीतौ

मणि मधुकर

ईसरलाल

मणि मधुकर

लोकराज

मणि मधुकर

अंधारै रा घाव

पारस अरोड़ा

इतियास

अर्जुन देव चारण

होकड़ा उतार

मोहम्मद सदीक

टूटोड़ी भींत बता...

चंद्रशेखर अरोड़ा

अडवाणो

सत्यप्रकाश जोशी

म्हैं नीं हारी

चंद्रशेखर अरोड़ा

बाकी हिसाब

पारस अरोड़ा

आखड़ी

अर्जुन देव चारण

बाड़ अर गुलाब

गोरधन सिंह शेखावत

ब्रितांत

मणि मधुकर

बेटा

अशोक कुमार दवे

धीयां नै

सत्यप्रकाश जोशी

ओ कुण

मोहम्मद सदीक

साटिया री छोरी सूं

गोरधन सिंह शेखावत

ऊंडी भखारियां

अर्जुन देव चारण

अजै जूझणो पड़सी

मोहम्मद सदीक

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

सफदर हासमी री मौत

गोरधन सिंह शेखावत

घुड़दौड़

गोरधन सिंह शेखावत

उडीक

पारस अरोड़ा

भविस

मणि मधुकर

अरज

रामेश्वर दयाल श्रीमाली

आं दिनां में

गोरधन सिंह शेखावत

तीजी रेख

अर्जुन देव चारण

पनजी मारू

गोरधन सिंह शेखावत

बोल भारमली

सत्यप्रकाश जोशी

आँच ही आँच

मोहम्मद सदीक

जुद्ध

गोरधन सिंह शेखावत

साधू

त्रिभुवन

जथारथ री छिब

चन्द्र प्रकाश देवल

पांगळी

मणि मधुकर

जोग

मणि मधुकर

परलै री घड़ी

अर्जुन देव चारण

फूलम-कथा

मणि मधुकर

गारड़ी

मणि मधुकर

इमरत अर जैर

प्रकाशदान चारण

साख राणी उमादे री

सत्यप्रकाश जोशी

जूंझार

गोरधन सिंह शेखावत

लाचारी

मणि मधुकर