समाज पर काव्य खंड

औमतौर सूं किणी संगठित

समूह नै समाज केय दियौ जावै पण उणरौ विमर्श लांबौ अनै महताऊ है। अठै संकलित रचनावां समाज सबद रै औळै-दौळै रचियोड़ी है।

काव्य खंड1

साहित री महिमा

उदयराज उज्ज्वल