समाज पर गीत

औमतौर सूं किणी संगठित

समूह नै समाज केय दियौ जावै पण उणरौ विमर्श लांबौ अनै महताऊ है। अठै संकलित रचनावां समाज सबद रै औळै-दौळै रचियोड़ी है।

गीत9

बाबा थारी बकरियां

मोहम्मद सदीक

मन की बुझाऊं

मुकुट मणिराज

भगवान भलो करसी थारो

किशोर कल्पनाकान्त

बटोई

किशन लाल वर्मा

ओळमो

मुकुट मणिराज

नुंवली गीता रो ज्ञान

किशोर कल्पनाकान्त