ब्याह पर कवितावां

स्त्री-पुरुष युगल को

दांपत्य सूत्र में बाँधने की विधि को विवाह कहा जाता है। यह सामाजिक, धार्मिक और वैधानिक—तीनों ही शर्तों की पूर्ति की इच्छा रखता है। हिंदू धर्म में इसे सोलह संस्कारों में से एक माना गया है। इस चयन में विवाह को विषय या प्रसंग के रूप में इस्तेमाल करती कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता21

सुगन

कृष्ण बृहस्पति

नानपणा मएं

ललित भट्ट 'दादू'

भान

गौरी शंकर निम्मीवाल

बदळती मानता

सुशीला ढाका

चिड़कली

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

कांकड़

पूनमचंद गोदारा

धीयां नै

सत्यप्रकाश जोशी

कुण कुण चढसी जान...

गौरीशंकर ‘भावुक’

ओळू आई

सिया चौधरी

म्हैं

सन्तोष मायामोहन

चूकै नीं पण

भगवती पुरोहित

वउ नी परबात

मणि बावरा

सोनै री सांकळां

मोनिका शर्मा

सीख

अमर सिंह राजपुरोहित

घाव

मणि मधुकर

सीखड़ली री वेळा

निर्मला राठौड़

बाळ-ब्यांव

धनंजया अमरावत

बंटवारो

दीनदयाल शर्मा