रगत पर कवितावां

ख़ून शरीर की नसों में

बहने वाला लाल तरल पदार्थ है जिसके लिए अन्य प्रचलित शब्द रक्त, रुधिर, लहू, शोणित आदि हैं। ख़ून से संलग्न कई मुहावरें भाषा में लोकप्रिय रहे हैं। अत्यंत क्रोध, हत्या, हिंसा, प्रतिरोध आदि कई प्रसंगों में भी ख़ून एक प्रतीक का निर्माण करता है।

कविता12

रेत

मोनिका गौड़

उल्लू पिछता रैयो हो

लक्ष्मीनारायण रंगा

अैलान

सुधीर राखेचा

कांच री आस्था

रचना शेखावत

रातिंदो

गोरधन सिंह शेखावत

सबद

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

सुफेदी

पूर्ण शर्मा ‘पूरण’

संझ्या : तीन चतराम

प्रेमजी ‘प्रेम’

चोरी

पारस अरोड़ा

सीस काट दी सैनांणी

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

आभै रो बौपार

अम्रतसिंह पंवार