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चम्पा-मेथी पर लोकगीत

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लोकगीत10

बिणजारी ए हँस-हँस बोल

बन्ना पांच बरस रा होयग्या

क्यूं जगोई रे हरियाळा बन्ना रे

पुनमल

बन्ना थोंरे हाथ मांयली बींटी

धुंधलिये धोरां में

मलजी मोर बोले रे

भंवर थांरी ओळ्यूंड़ी आवै

उमराव थांरी बोली

बन्ना लाओ रे उड़द की दाळ

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