मेवाड़ पर दूहा

दूहा30

अकबर वाली आपरै

गिरधर आसिया

संग बळ जावै नारियां

नाथूसिंह महियारिया

राज करावै खाग ही

नाथूसिंह महियारिया

सुत मरियौ हित देस रै

नाथूसिंह महियारिया

कायर नूं लानत दियै

नाथूसिंह महियारिया

वे रण में विरदावता

नाथूसिंह महियारिया

घण तोपां जागै नहीं

नाथूसिंह महियारिया

संभाळीयो सकतसी

गिरधर आसिया

कै तौ धव रण जीतिया

नाथूसिंह महियारिया

खग तौ अरियां खोसली

नाथूसिंह महियारिया

पिउ केसरियाँ पट किया

नाथूसिंह महियारिया

वाचाणह लुघा वचन

गिरधर आसिया

नित्त जगावै पीव नूँ

नाथूसिंह महियारिया

ईखे घर ऊदल तणा

गिरधर आसिया

हेली धव चढिया हमैं

नाथूसिंह महियारिया

राजा मांन सकतसी

गिरधर आसिया

बाप पड़यौ् तिण ठौड़ हूँ

नाथूसिंह महियारिया

रहत नपूती तौ इतौ

नाथूसिंह महियारिया

हणवँत गिर नहँ तोकता

नाथूसिंह महियारिया

कटै न को दिन काटियां

नाथूसिंह महियारिया

खग-कूंची जादू करै

नाथूसिंह महियारिया

नीला री खुरताळ पर

नाथूसिंह महियारिया

वा दिस सखी! सुहावणी

नाथूसिंह महियारिया

रण चढ़िया पट पहरियां

नाथूसिंह महियारिया

संपेखें घर घर सहर

गिरधर आसिया