कुदरत पर कवितावां

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

कविता97

परेम

अंजु कल्याणवत

प्रेम री परीभाषा

सत्येंद्र चारण

डांडी रौ उथळाव

तेजस मुंगेरिया

अेकला बळै

आशीष बिहानी

अै कठफोड़ा

शिवराज छंगाणी

धरती'र भासा!

कन्हैयालाल सेठिया

ठूंठ

गजेसिंह राजपुरोहित

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

टीब्बा

अंजु कल्याणवत

नंग धड़ंग अरावळी

कन्हैयालाल सेठिया

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

ओळूं

सत्येन जोशी

करसाणी म्हारा गांव री

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

मावटो

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

अभेद-भेद !

कन्हैयालाल सेठिया

बसन्त-विहार

बद्रीदान गाडोन

वसन्त वेळां

जयसिंह चौहान 'जौहरी'

पृथ्वी

मालचंद तिवाड़ी

कठै...

सुनील गज्जाणी

उल्थो

सत्येंद्र चारण

घांस छूं म्हूं

सी. एल. सांखला

कुदरत रौ मिनख

शंभुदान मेहडू

गीतां को गेलो

प्रेमजी ‘प्रेम’

माया री सिस्टी

सत्यनारायण इन्दौरिया

पसु

रामस्वरूप किसान

मीठी तान

धनंजया अमरावत

थूर

शैलेन्द्र उपाध्याय

तीन मुक्तक

कल्याणसिंह राजावत

जद हरी करै

सांवर दइया

मौसम

गोरधन सिंह शेखावत

ध्वनि परस

रामस्वरूप किसान

अेक पानू फैरू खरीग्यू

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

सौरम रो भभको

रामस्वरूप किसान

अंतस् मीठास

शिवराज छंगाणी

आसरौ

शिवराज छंगाणी

माटी री सौरम

इरशाद अज़ीज़

काल

नागराज शर्मा

रेत में मधुमास

इन्द्र प्रकाश श्रीमाली

किरड़कांटियो

कन्हैयालाल सेठिया

सूरज मुळकै

इरशाद अज़ीज़

स्यात यूं मुळकै

सतीश छिम्पा

जुग-भीषम !

कन्हैयालाल सेठिया

सुवांज

चैन सिंह शेखावत

रूंख हड़मान जी

मनोज पुरोहित 'अनंत'

पैलड़ी जीत

ओमप्रकाश गर्ग 'मधुप'

अगन ज्यूं निकळी कविता

महेंद्रसिंह छायण

कुदरत

श्रीमंतकुमार व्यास