कुदरत पर कवितावां

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

कविता47

अेकला बळै

आशीष बिहानी

अै कठफोड़ा

शिवराज छंगाणी

परेम

अंजु कल्याणवत

ठूंठ

गजेसिंह राजपुरोहित

डांडी रौ उथळाव

तेजस मुंगेरिया

संजीवणी आस

दीनदयाल ओझा

काल

नागराज शर्मा

स्यात यूं मुळकै

सतीश छिम्पा

रोहिड़ै रौ फूल

शिवराज छंगाणी

सुवांज

चैन सिंह शेखावत

रूंख हड़मान जी

मनोज पुरोहित 'अनंत'

कुदरत

श्रीमंतकुमार व्यास

आंधौ

मणि मधुकर

रूंख

भगवान सैनी

सबद खोजू

चन्द्र प्रकाश देवल

परकत रा पसवाड़ा

गीतिका पालावात कविया

निनाण

महावीर प्रसाद जोसी

पीळा पात

हुसैनी वोहरा

मिनख री भुंवाळी

सुमन बिस्सा

कुण सूरज री धूंणी तापै

गौरीशंकर ‘भावुक’

सज रैया है कैक्टस

किशोर कुमार निर्वाण

टीब्बा

अंजु कल्याणवत

पसु

रामस्वरूप किसान

थूर

शैलेन्द्र उपाध्याय

ध्वनि परस

रामस्वरूप किसान

अेक पानू फैरू खरीग्यू

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

सौरम रो भभको

रामस्वरूप किसान

अंतस् मीठास

शिवराज छंगाणी

आसरौ

शिवराज छंगाणी

सपनै री सीव माथै बाड़

चन्द्र प्रकाश देवल

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

ओळूं

सत्येन जोशी

अभेद-भेद

कन्हैयालाल सेठिया

बसन्त-विहार

बद्रीदान गाडोन

वसन्त वेळां

जयसिंह चौहान 'जौहरी'

कठै...

सुनील गज्जाणी

कुदरत रौ मिनख

शंभुदान मेहडू

आसान कोनी

सुमन पड़िहार

बीज अर माटी री बंतळ

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

उजास रै आंगणै

रतना ‘राहगीर’

रचीजै सिस्टी

सन्तोष मायामोहन

म्हारौ मारग

सुधीर राखेचा

बात

भारती पुरोहित

एकलो हाथ

भगवती लाल व्यास

म्हारौ गांव

हरमन चौहान