कुदरत पर दूहा

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

दूहा18

दूहा परकत रा

कुलदीप सिंह इण्डाली

सूरज किरण उंतावळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

पहरै वदळै वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सूरज साजन आवसी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

प्रीतम भेजी वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

चुप मत साधै वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

छोड़ मरोड़, छिपा मती (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आभ अमूझी वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जीवण दाता वादळ्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आयी नेड़ी मिलण नै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

गांव-गाव में वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

कोरा-कोरा धोरिया (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

धोळी रुई फैल सी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

वीजां अकुर कूटिया (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

काची कूंपळ फूल फळ (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

धरा गगन झळ (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी