कुदरत पर गीत

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

गीत10

रंगीलो राजस्थान

सोनी सांवरमल

मुरधर वाळां माणसियां

तेजस मुंगेरिया

म्हें घणों हठीलौ जातरी

गिरधारी सिंह राजावत

आयो रितुराज

शिव पांडे

बसंत ऋतु आ गई

सावित्री व्यास

चिड़कली

सुनीता बिश्नोलिया

हाथ बढा तू मानवी

जयकृष्ण शर्मा

पर्यावरण संरक्षण

ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर'

कोई मन भरमावै रे

बुलाकी दास बावरा