दरखत उपरै छायी उदासी!
पण मनखां म्हं बढ़'री हांसी!!

आज वनां रो नाश हो रियो
जाणबूझकर ई बेंडो बण
दरखत कटा रियो-2

बड़ा बडैरा सा ये रूखड़ा!
खड्या धीर औतार बण्योड़ा!!

पण मनखां के रास हो रियो ...
जाणबूझकर ई गैल्यो बण
दरखत घटा रियो-2

कांट-छांटकर कर दिया घाटा!
आज हरख म्हं कय्या बांटा?

मनख जीवती लाश हो रियो....
जाणबूझकर ई बेंडो बण
दरखत कटा रियो-2

दरसण खातर बच्या रूंखड़ा!
खेत-खेत रा हुया टूकड़ा!!

मनख रूप्या रो दास हो रियो....
जाणबूझकर ई गैल्यो बण
दरखत घटा रियो-2

जहरिलो बायरियो बढ़ग्यो!
देख बिच्चारो टाबर मरग्यो!!

आज लेवणो सांस हो रियो...
जाणबूझकर ई गैल्यो बण
दरखत कटा रियो-2

बैमारियां नित कर'री हमलो!
अब तो भाया थे झक ले लो!!

आज जीव निष्प्राण हो रियो...
जाणबूझकर ई बेंडो बण
दरखत घटा रियो-2



स्रोत
  • सिरजक : ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै