म्हैं धरती रो गीत सुण्यो

पछै थारी प्रेम-कविता

विकल्प री चरचा नीं है।

चानणै खातर स्यात

दोनूं चाहीजै।

थें रूंख नैं पंपोळ्यौ

पछै होठां मांड्यो चुंबन

बात होवै

अर जे नीं होवै

मौसम री पैलपोत

किणी अेक खातर नीं है।

अेक सांतरो सो सुवांज है

म्हैं अर थे मिल'र

मिनखणै खातर

इण सूं बत्तो

की नीं कर सका।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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