हास्य पर कहाणियां
हाय-हाय! म्हारै ब्याव री बात चाल पड़ी। अबार तो नीठ लारलै जनम में ई घणी मुसकल सूं लुगाई सूं पिंड छुड़ा’र आयो हो अर इण जिनगाणी रै इकलाण रा पंद्रह बरस बिताया हा’क बस फेर म्हारै ब्याव री बात चाल पड़ी। हाय के करूं? म्हानै आछी तरियाँ याद है, जद भगवान म्हनै