काया पर कवितावां

देह रो अरथ शरीर रै आंगिक

सरूप सूं है। मध्यकालीन बोध अर आधुनिक बोध में देह रै अरथां रो आंतरो ठाह पड़ै। अठै प्रस्तुत संकलन देह सबद रै ओळै-दोळै रचियोड़ो।

कविता21

घर मोढां पर

राजूराम बिजारणियां

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

सांसां रा साच

गीतिका पालावात कविया

सतरंगी काया

संजय आचार्य 'वरुण'

भुरती मिनखाजूण

सुनील गज्जाणी

छेहला बोल

चन्द्र प्रकाश देवल

रट्ठ

राजूराम बिजारणियां

पिंड पाळै मन

ओम पुरोहित ‘कागद’

सेयर बाजार

अर्जुन देव चारण

प्रेम की दो कूंपळां

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

तावड़ियौ

नरेश व्यास

काया अर म्हैं

संजय आचार्य 'वरुण'

जथाजोग

मणि मधुकर

पड़तख बसै

कमल रंगा

मारग रौ कोढ

चन्द्र प्रकाश देवल

रिगदोळ

मणि मधुकर

सांम्हेळौ

चन्द्र प्रकाश देवल

सपना

अर्जुन देव चारण

देह रो पाणी पोखता मंसूबा

चंद्रशेखर अरोड़ा

जुद्ध

चन्द्र प्रकाश देवल