मारग नीं मरै बोझ सू कदैई

नीं व्हे मांदौ

भलांई उणरै माथै कर निकळौ

तोपां

फौज

रामरेवाड़ी

गाड्यां

मालगाड्यां

पण जदकद जावै

उण माथै कर

टोळी सूं टळ्योड़ा

जोड़ी बिछ्ड़्योड़ा पग

न्यारा-न्यारा उल्टी दिस

आंतरौ बधावता अेक दूजा सूं

तद साचांणी

वांरै बोझ सूं लचक जावै उणरी कमर

अर जठै-जठै

वै फेंके मसळ'र फूल

वठै-वठै इणरै खाडा पड़ जावै

पिरसूं कैवतौ हौ अेक मारग

के पाछली लड़ाई में पड़योड़ा बंम

लागा हा उणनै

भूतिया जेड़ा अेकदम फारक

पण

अेकर अेक आदमजात

लीर-लीर कर फाड़ फेंकी ही प्रेम पाती

उण पाती री अेक अेक चिंदी

जठै-जठै पड़ी

वठै-वठै उपड़ग्या है घूमड़ा म्हारै डील माथै

दिन रात अबै कुळै है उणमें राद

रैय-रैय झबकै

सोरै सांस नींद नीं आवै

जे आपनै व्है अणविसास म्हारी बात माथै

तौ अठी कर बावड़तां

जठै-कठै आपने दीसै

लीली-कच्च नागफण्यां

वांरै गोडै देखज्यौ

आपनै लाधैला

कचबच म्हारौ डील

कादौ कादौ

अर जठै-जठै व्है कादौ

पग वठा सूं टळ'र निकळ्या करै

बणावता नूवौ मारग!

यूं बणीजतौ नूवौ अबोट मारग

फैर दुथणी रा जायां रै रहम माथै जीवतौ

रैवैला साबूत

रांम जांणै कित्तीक ताळ

सेवट री बाजी

उणरै कदै कदै

किणी किणी री म्हेर सू

उघड़ैला इज उघड़ैला

अेक दिहाड़ै-कोढ...

स्रोत
  • पोथी : मारग ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : देवल प्रकासन, गोटीपा
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