छोरी

काची उमर में

भांडो काची माटी रो!

झींटाखोसी

बाळपणै-जुवानपणै बीच।

कमरे में काया

काया में मन

मन अधपाको

अधपाकी दीठ

दीठ भींत में

भींत में आरसी

आरसी में

मूरत रूप लेवता

विचार चोखा-माड़ा

देवै गरणैटा

भरै उडार

कमरै सूं आंगणैं

आंगणैं सूं थळी..!

पण कांई..?

रोक्यो कुण

टोक्यो कुण

फिरîो कुण आडो

उंतावळै मन रै..

मा.!

बापू.!!

का फेर..

संस्कार थळी रा.!!!

स्रोत
  • पोथी : चाल भतूळिया रेत रमां ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणियां ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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