राजूराम बिजारणियां
समकालीन कविता में ठावी ठौड़। 'चाल भतूळिया रेत रमां' कविता संग्रै पर साहित्य अकादमी रो युवा पुरस्कार। 'झील,नमक और कुरजां' चर्चा में।
समकालीन कविता में ठावी ठौड़। 'चाल भतूळिया रेत रमां' कविता संग्रै पर साहित्य अकादमी रो युवा पुरस्कार। 'झील,नमक और कुरजां' चर्चा में।
अबै बतावो
आभै उतरी प्रीत
आंगणैं रो हक
आयग्या काम
बात बीतगी
बै गांधी हा
बरसां पछै
बेटा कद आवैला गांव
बीजी दुनियां थारी-म्हारी
धरती चुगगी
धरती काती प्रीत
धुड़कै जूण
घर मोढां पर
गळगी- हेत
गळगी हेत में
हिरोशिमा-नागासाकी
इयां कियां
जोद्धा
कारीगरी
मा रिसाणी है
महामरी
मारग कठै
निरवाळा रंग
पटापट
फरक
फरक कांई
प्रीत, छांट अर गड़ा
रचाव
रट्ठ
सींव रा समाचार
तीन चितराम : बुगचै रै ओळै-दोळै
थे कत्ली हो
थळी रा संस्कार