नेता पर कवितावां

भारतीय राजनीति और लोकतंत्र

की दशा-दिशा से संवाद को हिंदी कविता ने किसी कर्तव्य की तरह अपने ऊपर हावी रखा है और इस क्रम में इसके प्रतिनिधि के रूप में नेता या राजनेता से प्रश्नरत बनी रही है। प्रस्तुत चयन में ऐसी ही कविताओं का है।

कविता31

सतिये नै सीख

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

आत्महंता

त्रिभुवन

होकमजी

आभा मेहता 'उर्मिल'

जूण रा इग्यारा चितराम

सुरेन्द्र सुन्दरम

रूंख अर देस

भंवर कसाना

नवौ कुरुखेत

रेवतदान कल्पित

व्यंग कवितावां

करणीदान बारहठ

मैं गयो जीतबा नै चुणात

बुद्धिप्रकाश पारीक

सत्ता मीठी लापसी

संतोष कुमार पारीक

‘जनता’ नीं ‘आई’

देवाराम परिहार

थूं भोळो है लाडी

मनोज पुरोहित 'अनंत'

नेतो

विश्वम्भरप्रसाद शर्मा ‘विद्यार्थी’

अभियान

इन्द्रा व्यास

वै

अशोक जोशी ‘क्रांत’

भाटो

आभा मेहता 'उर्मिल'

नेता गजबी गोळा

श्याम गोइन्का

फरियाद

हीरालाल सास्त्री

सांढ

भगवती प्रसाद चौधरी

डर लागै?

अन्नाराम ‘सुदामा'

राजीनांवौ

मणि मधुकर

खांदै माथै बंदूक राखणी पड़ै

मनोज पुरोहित 'अनंत'

कुरसी मैया री आरती

गणपतिचन्द्र भंडारी

चुणाव रा दो दरसाव

विक्रमसिंह गून्दोज

थूक बिलोवणो

मोनिका गौड़

राजनीति

भगवती प्रसाद चौधरी

अबकै आवजै देखांणी

मीठेश निर्मोही

प्रगति

हरीश व्यास

सांप

त्रिभुवन