जनता रै वोटां सूं जीत्या।

पांच बरस मौजां में बीत्या॥

दुख सुख में आडा नह आया, जैपर सूं वापसी।

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

वोटां री जद बारी आई, सत्ता री नींदां जाग्या।

कुरसी रै लाळच में नेता, गांव सै’र कानीं भाग्या॥

हाथाजोड़ी कर डंडोतां, पगचंपी करता डोलै।

दारू रिपिया बांट रोकड़ी, मिसरी रा मीठा बोलै॥

मछली फांसण सारू बुगला, सेवा मंतर जापसी।

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

गांव गळी चौपाळां जावै, घर कींवाडी खड़कावै।

बाई काकी बडिया दादी, मीठा बोल’र बतळावै॥

रोटी पोवै दही बिलोवै, खेतारै में काम करै।

सांग बणावै वोटां खातर, न्यारा न्यारा रूप धरै॥

भांड बण्या गळियां में भटकै, जनता लागै बाप सी।

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

जनता पासो पकड़े आं'रो, बाप'र बेटा नट ज्यावै।

कई वोटां री हामळ भर ल्यै, कई वोट नै नट ज्यावै॥

घणै घरां में फांटा पड़ज्या, भाई भाई सिर फोड़ै।

दारू पीयै रोळ मचावै, दुनियां में आवै चौडै॥

लड्ढा पटको मचै मोकळौ, हेत भुलावै आपसी।

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

आंधा डूंडा बूढळियां नै, चाढ चाढ ल्यावै गाडी।

भाड़ो दे ल्यावण नै भेजै, पीहर सूं रूठी लाडी॥

जापै मांही सूती जच्चा, दादी घरडू जुतियोड़ी।

बींद बणेड़ो लाडकड़ो अरु, लाडी पीठी चढियोड़ी॥

वोट गिरावण बूथ बुलावै, मैणत कर अणमाप सी।

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

जीत्योड़ा जैकारां सागै, जा पूग्या जैपर नगरी।

मंत्री बणग्या मौज मनावै, जनता री खाली गगरी॥

भाई समधी टेंडर लेवै, प्रोपरटी रो काम करै।

कबजा करै जमीनां बेचै, छुटभइया भी जेब भरै॥

बण मालक दारू ठेकां रा, नोट मोकळा छापसी॥

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

नेताजी रो झिंडो झाल्यो, छोडै नह मरकरता।

जनता जाय नरेगा लागै, मेट बण कारजकरता॥

काम करावै खाय कमीसन, बिन मतलब रै नह बोलै।

पांच बरस तो हाल पूछ्या, वोटां में छाती छोलै॥

संतू बैठै बारी बारी, कुरसी सूं कुण धापसी।

नेताजी कुरसी रै चिपग्या, सत्ता मीठी लापसी॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : संतोष कुमार पारीक ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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