जीती ग्या गढ़ लंका होकमजी,

जनता रांक ने रंका होकमजी।

हांची-झूटी फाकम-फाकी,

डूंगी वजाडी डंका होकमजी।

लाचारी मंय गजवू कापें,

हमाम मंय सब नंगा होकमजी।

ऑक्सीज़न सिलिंडर हारू,

रझड्या हैं रणबंका होकमजी।

जुम्मेवारी खो-खो खेले,

कैवा-कैवा अडंगा होकमजी।

जिब्बा मंय, न्हें मरवा मंय,

लाजी मर्‌या तिरंगा होकमजी।

चारीमेरे अगन भभूकै,

बैठा मस्त मलंगा होकमजी।

दूर दीवे अजवारु देखाडी,

खेल्या दाव कढंगा होकमजी।

स्रोत
  • सिरजक : आभा मेहता 'उर्मिल' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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