व्यंग्य पर कवितावां

व्यंग्य अभिव्यक्ति की

एक प्रमुख शैली है, जो अपने महीन आघात के साथ विषय के व्यापक विस्तार की क्षमता रखती है। काव्य ने भी इस शैली का बेहद सफल इस्तेमाल करते हुए समकालीन संवादों में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इस चयन में व्यंग्य में व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता13

आप तो आप सा!

नवनीत पाण्डे

फरियाद

हीरालाल सास्त्री

डेमोक्रेसी : तीन कवितावां

सुरेन्द्र डी सोनी

तय तो आइज हो

पुरुषोत्तम छंगाणी

बाबू ही बाप कहल्यां

रामदयाल मेहरा

खुसी रा गीत

किशोर कुमार निर्वाण

क्षणिकावां

राजेंद्र प्रसाद माथुर

सांप

त्रिभुवन

संभळ क चालो

रामदयाल मेहरा

होकमजी

आभा मेहता 'उर्मिल'

व्यंग कवितावां

करणीदान बारहठ

खुद रो पतियारो कोनीं

उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'