गिरज चील कागला एक दिन भगवान कनै पूंच्या

कयो-'महाराज, अबकै तो म्हारी बात मानो।

म्हे लोग भूख मरां हां चोखो-सो काळ पटक द्द्यो

म्हारी पेट री सळ निकळ ज्यावे।

म्हारी काया अेन तिरपत हो ज्यावे।

जद भगवान री निजर लैरे खड़यां

दो मिनखां कानी गयी।

भगवान् पूछयो-थे कुण हो, कांई चावो हो।

जद बै बोल्या-'महाराज म्हे विधायक अर मंत्री हाँ

ही सागळ मांग म्हारी है।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : करणीदान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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