थांरै खनै

अेक कारगर औजार

के थें राखौ हर बगत गोजी में

राजीनांवौ

त्यार

बोलतां थारो चेरौ

तूट'र

भूपसिंगजी कै गुमांनमलजी के चेतरांमजी

रै पगां में जा पड़ै

अर वै दयावन्त

वीं ने उठाय'र थांनै पाछौ संभळा देवै

असल बात है कै

थांरौ चरौ

चेरौ कोनी अेक कोथळियौ

है जिण में हाथ घालतां मिलै

बेकांम ताळा री चत्तर चाबियां

रौ गूंछौ

आतमां रे

आधींटै में फदकतौ

फिड़कलौ

सूकौ फोगलियौ

नै हरेक लम्बर रौ चस्मौ

थूं जठै जावै पानदान नसेणी नै

चन्दरसखी रौ अेक भजन साथै

लेय नै जावैं

थू़ं जाणै कै जिनेऊ पैरतां

सगळा सासतर

माथै मंड ज्यावै नै गऊमूत

पीवतां

फत्तै कर दिया जावै

आधौ चुणांव

थूं जद लीतर-लीतर करतौ

हांडै तद

आंटी में अेक बकसौ दबायां राखै

सावळ

अर निगै करनै चालै

कै किण री डोळी टूट्यौड़ी

किण रौ दरुजौ कमजोर

किण रौ

फळसौ-खुल्लौ

नै बिनां चोर बाज्यां

माल कीकर पार कियौ जा सकै

थांने ठा है के कानूंन कायदां

सूं नराज व्हियां

जावणौ पड़ै जेळ नै

वां में बिल खोदण री ख्यात

बणायां मिलै राज रौ बंगलौ

थूं कदै खबड़खत नीं व्है

थांरै सूं अगूंच चालै थारौ दांव

क्यूंकै रांजीनांवै में परथम

नै ऊपर ऊपर थांरौ नांव!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण - जयपुर
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