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अंजस सोशल मीडिया
संत काव्य पर दूहा
दूहा
चौपाई
पद
अरिल्ल छंद
संवैया छंद
छप्पय
गीत
सबद
कुण्डळियौ छंद
कवित्त
सोरठा
काव्य खंड
दूहा
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सेवक कुंभ कुंभार गुर
रज्जब जी
माया सांपिणी सब डसै
दादूदयाल
निरंजन निराकार है
दादूदयाल
जल थल महियल ढूंढिया
परमानंद बणियाल
दादू, बहु रूपी मन तब लगै
दादूदयाल
विस्नु नाम चौरासी मिटै
ऊदोजी अड़ींग
एकै सब तन रमि रह्यो
संत चरणदास
पंथ सोई जो हर पुर जहै
साहबराम राहड़
गुरुवदन ते रामदास
रामदास जी
दान कुपातां दीजियै
साहबराम राहड़
फूली सतगुर उपरै
फूलीबाई
संगत बिना तिरियो नहीं
संत सुखरामदास
क्या गंगा क्या गोमती
फूलीबाई
सिर जावे तो जाण दो
संत सुखरामदास
ग्यान गरीबी गुरु इसट
संत दरियाव जी
आदि शब्द ओंकार है
दादूदयाल
जब लग स्वांस सरीर में
फूलीबाई
च्यार बरण नर-नार रे
संत सुखरामदास
भौ सागर मन माछला
परमानंद बणियाल
दादू, कोई काहू जीव की
दादूदयाल
गैंणा गांठा तन की सोभा
फूलीबाई
खड़ो जु खिड़की पाकड़ै
साहबराम राहड़
कामी कंथ के कारणै
फूलीबाई
माया सौं मन रत भया
दादूदयाल
प्रेम बराबर नाहिं तुल
परमानंद बणियाल
गंगा यमुना सरस्वती
दादूदयाल
माटी सूं ही ऊपज्यो
फूलीबाई
दादू राम न छाडिये
दादूदयाल
ज्ञान संग गुरु पाविया
संत सुखरामदास
मन मोटा मन पातला
बखना जी
जम दाणु क्या देवता
संत सुखरामदास
रज्जब तांबा लोह पठित
रज्जब जी
दादू भाडा देह का
दादूदयाल
बखना वाणी बरसणी
बखना जी
गुरु को वदन कीजिये
रामदास जी
नांव लियौ जिन सब कियो
साहबराम राहड़
रज्जब ऊपरि रहम करि
रज्जब जी
दादू केई दौड़े द्वारिका
दादूदयाल
क्या इन्द्र क्या राजवी
फूलीबाई
रज्जब रहिये राम में
रज्जब जी
विसनु नाम है सूर हम
ऊदोजी अड़ींग
वन में बसती होय रही
साहबराम राहड़
जामण मरण जहाँ नही
संत सुखरामदास
संगत बिना तो भाव नही
संत सुखरामदास
कर जोड़े कहै केकवी
मेहा गोदारा
दादू दीनदयाल गुर
रज्जब जी
जानी आये गोरवे
फूलीबाई
कोरा कलश अवाह का
दादूदयाल
बाहर दादू भेष बिन
दादूदयाल
दादू टूका सहज का
दादूदयाल
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