राजस्थान पर कवितावां

कविता6

इण धरती रै ऊजळ आंगण

महेंद्रसिंह छायण

फ़ोग

भगवती पुरोहित

हे मरुथळ री मनमोवणी मूरत!

महेंद्रसिंह छायण

काळ

भगवती पुरोहित

इणसूं किणरी हुवै नीं होड

अस्त अली खां मलकांण

मतीरो

भगवती पुरोहित