समुद्र पर कवितावां

पृथ्वी के तीन-चौथाई

हिस्से में विशाल जलराशि के रूप में व्याप्त समुद्र प्राचीन समय से ही मानवीय जिज्ञासा और आकर्षण का विषय रहा है, जहाँ सभ्यताओं ने उसे देवत्व तक सौंपा है। इस चयन में समुद्र के विषय पर लिखी कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता17

मछल्यां

मदन सैनी

नदी नै समंदर

प्रदीप भट्ट

जस

रमेश मयंक

गवर

अर्जुन देव चारण

हिचकी को बुलावो

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

साची बात

आशा शर्मा

आभो

कन्हैयालाल भाटी

समन्दर

भंवर भादानी

लहर

देवेश पथ सारिया

ताणियोड़ी भरत माथै

मीठेश निर्मोही

तिरस

सत्यप्रकाश जोशी

खोयोड़ै समदर रा सुपना

विजयसिंह नाहटा

पछै पछै रै उणियार

चन्द्र प्रकाश देवल

पांगळा भाई

गोरधन सिंह शेखावत