वसंत पर कवितावां

वसंत को ऋतुराज कहा गया

है, जब प्रकृति शृंगार करती है। प्रकृति-काव्य का यह प्रमुख निमित्त रहा है। नई कविताओं ने भी वसंत की टेक से अपनी बातें कही हैं। इस चयन में वसंत विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता14

बसंत कै दिन

प्रेमजी ‘प्रेम’

मनुहार

कृष्ण विश्नोई

बसंत

दीनदयाल शर्मा

बासन्ती बायरियो

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

बसंत कद आवसी

सत्यदीप ‘अपनत्व’

वीरां रो बसंत

जगदीशचन्द्र भट्ट

अणाहूत

भगवती लाल व्यास

बसंत

भगवती लाल व्यास

आई बसँती बहार

रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’

बेरुत रो मेह

पृथ्वी परिहार

वसन्त वेळां

जयसिंह चौहान 'जौहरी'