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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
निर्गुण भक्ति काव्य पर पद
दूहा
पद
अरिल्ल छंद
कवित्त
चौपाई
छप्पय
सबद
गीत
कुण्डळियौ छंद
संवैया छंद
सोरठा
कविता
निसाणीं छंद
पद
39
निराकार नहिं ना आकार
संत चरणदास
साधो ऐसी खेती करिये
संत दरियाव जी
दिलदार मेरे सइयाँ
आत्माराम 'रामस्नेही संत'
सुख सागर के मांहि
मोहनदास जी
ऐसे नहीं धीजिए
आत्माराम 'रामस्नेही संत'
मन वाणी अकल आणी बुधि वाणी तार
स्वामी देवादास जी
निसदिन तुम ही तुम कुं सिंवरूं
संत मूलदास जी
बाजीगर बाजी रची
हरिदास निरंजनी
साधो भाई ऐसा मेरै गुरुजी का सरणा
संत मूलदास जी
साधो एक अचम्भा दीठा
संत दरियाव जी
संतो लखन बिहूंनी नारी
सुंदरदास जी
भेख बणायो गरज
मोहनदास जी
जीव बटाउ रे बहतो भाई मारग माहिं
संत दरियाव जी
पति की ओर निहारिये
संत चरणदास
जागौ रे! अब नींद न कीजै
हरिदास निरंजनी
खड़ी टोपी मै
मोहनदास जी
एक पिंजरा ऐसा आया
सुंदरदास जी
जाके उर उपजी नहिं भाई
संत दरियाव जी
दिलदार मेरे प्यारे
आत्माराम 'रामस्नेही संत'
धन धरती मै धरै
मोहनदास जी
संतो! राम रजा मैं रहिये
हरिदास निरंजनी
कोई पिवै राम रस प्यासा रे
सुंदरदास जी
मोहन बासी उस देस का
मोहनदास जी
जांकै रूप न रेख बरण नहीं भेष है
मोहनदास जी
हे भईया मेरो मोहन संगड़ो न छाड़ै
संत मूलदास जी
साधो भाई देवल की छिब भारी
संत मूलदास जी
पहर गले में गुदड़ी
मोहनदास जी
गोबिंद दरसण पल पल पाऊं
संत मूलदास जी
चौरासी में दुख घणौ
संत मूलदास जी
साधैं भूख मास उपवासी
परसजी खाती
मीठा बोलो निंव खिंव चालो
समसदीन
राम बिन भाव करम नहिं छूटै
संत दरियाव जी
सुख संपत मन जाय सरीरा
संत सेवगराम जी महाराज
संतौ ऐसा यहु आचारा
रज्जब जी
ऐसे पलकन छांड्यौ
स्वामी देवादास जी
सिंवरो उमति को राव
समसदीन
द्वार पधारै म्हारे संत गुरदेवा
संत मूलदास जी
हरि भगति बेलि मन में लगाय
आत्माराम 'रामस्नेही संत'
शील बिना नरकै परै
संत चरणदास