निर्गुण भक्ति काव्य पर पद

पद59

साधो ऐसी खेती करिये

संत दरियाव जी

दिलदार मेरे सइयाँ

आत्माराम 'रामस्नेही संत'

ऐसे नहीं धीजिए

आत्माराम 'रामस्नेही संत'

बाजीगर बाजी रची

हरिदास निरंजनी

साधो एक अचम्भा दीठा

संत दरियाव जी

भेख बणायो गरज

मोहनदास जी

जागौ रे! अब नींद न कीजै

हरिदास निरंजनी

खड़ी टोपी मै

मोहनदास जी

एक पिंजरा ऐसा आया

सुंदरदास जी

दिलदार मेरे प्यारे

आत्माराम 'रामस्नेही संत'

धन धरती मै धरै

मोहनदास जी

संतो! राम रजा मैं रहिये

हरिदास निरंजनी

चौरासी में दुख घणौ

संत मूलदास जी