सबद पर कवितावां

वर्णों के मेल से बने

सार्थक वर्णसमुदाय को शब्द कहा जाता है। इनकी रचना ध्वनि और अर्थ के मेल से होती है। शब्द को ब्रहम भी कहा गया है। इस चयन में ‘शब्द’ शब्द पर बल रखती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता63

सबद

अशोक जोशी ‘क्रांत’

सबद

गोरधन सिंह शेखावत

सबद कोस

अर्जुन देव चारण

ले लीजे उजास

संजय आचार्य 'वरुण'

कविता

रामनिवास सोनी

बावळी

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

सबदकोश मांय सबद

विजयसिंह नाहटा

सबद

संदीप 'निर्भय'

प्रीत पराई,पीठ पराई

मनीषा आर्य सोनी

कठा सूं आवै है सबद

भगवती लाल व्यास

रोईड़ौ

मणि मधुकर

सबद : तीन

प्रमोद कुमार शर्मा

रूह रा गळियारा

धनपत स्वामी

पिर पीर री

प्रियंका भट्ट

थानै पढ़णो पड़सी रै

सोनी सांवरमल

सबदां रा रामतिया

चंद्रशेखर अरोड़ा

सबद

नीलम पारीक

सबद खोजू

चन्द्र प्रकाश देवल

सबद

छैलकंवर चारण

सबद

राजेश कुमार व्यास

नीं पूग्यौ प्रेम

संजय आचार्य 'वरुण'

सबद नाद

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

सबद : दो

प्रमोद कुमार शर्मा

पोथी रो पाठ

कृष्णा आचार्य

सबद हांफळै

धनपत स्वामी

सरणाटो

चैन सिंह शेखावत

सबद : चार

प्रमोद कुमार शर्मा

सबदां री अकूरड़ी

धनपत स्वामी

आखर

अर्जुन देव चारण

बीजी दुनियां थारी-म्हारी

राजूराम बिजारणियां

सबद : पांच

प्रमोद कुमार शर्मा

सबदां का तीर

गौरीशंकर 'कमलेश'

जे..

विजयसिंह नाहटा

सबद

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

थूं अर म्हैं

लक्ष्मीनारायण रंगा

क्यूं

हरीश बी. शर्मा

सीऽऽ याटौ

ज्योतिपुंज

सबद

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

सबद : आठ

प्रमोद कुमार शर्मा

कविता

ओम पुरोहित ‘कागद’

सबद : नौ

प्रमोद कुमार शर्मा

पोथी अक्षर, ग्यान समंदर

बिहारी शरण पारीक

हेजळा आखर

चन्द्र प्रकाश देवल

आखर बोल : आखर बांच

हरीश भादानी

अंतस दीठ

रचना शेखावत

सबद

कमल रंगा