सबद पर कवितावां

वर्णों के मेल से बने

सार्थक वर्णसमुदाय को शब्द कहा जाता है। इनकी रचना ध्वनि और अर्थ के मेल से होती है। शब्द को ब्रहम भी कहा गया है। इस चयन में ‘शब्द’ शब्द पर बल रखती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता65

बीजी दुनियां थारी-म्हारी

राजूराम बिजारणियां

सबदां री हद रै मांय

आईदान सिंह भाटी

सबद : छह

प्रमोद कुमार शर्मा

अणबांच्या आखर

रघुराजसिंह हाड़ा

आखर-अरथ अर भाव

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

जिकौ सूंप्यौ

गोरधन सिंह शेखावत

सबदा रे इलाकै में

कृष्ण कल्पित

सबद : सात

प्रमोद कुमार शर्मा

जी करै म्हारो

संजय पुरोहित

लावौ अर सबद

वाज़िद हसन काजी

सबद नाद

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

सबद : अेक

प्रमोद कुमार शर्मा

बै अर म्है

जयकुमार ‘रुसवा’

आं सबदां नै

विंदा करंदीकर

सबद : पांच

प्रमोद कुमार शर्मा

सबदां का तीर

गौरीशंकर 'कमलेश'

जे..

विजयसिंह नाहटा

सबद

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

भरोसैमंद आखर

नंद भारद्वाज

थूं अर म्हैं

लक्ष्मीनारायण रंगा

क्यूं

हरीश बी. शर्मा

सीऽऽ याटौ

ज्योतिपुंज

सबद

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

सबद : आठ

प्रमोद कुमार शर्मा

कविता

ओम पुरोहित ‘कागद’

सबद : नौ

प्रमोद कुमार शर्मा

पोथी अक्षर, ग्यान समंदर

बिहारी शरण पारीक

हेजळा आखर

चन्द्र प्रकाश देवल

अंतस दीठ

रचना शेखावत

सबद

कमल रंगा

सबद

अशोक जोशी ‘क्रांत’

सबद

गोरधन सिंह शेखावत

सबद कोस

अर्जुनदेव चारण

ले लीजे उजास

संजय आचार्य 'वरुण'

कविता

रामनिवास सोनी

बावळी

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

सबदकोश मांय सबद

विजयसिंह नाहटा

सबद

संदीप 'निर्भय'

प्रीत पराई,पीठ पराई

मनीषा आर्य सोनी

रोईड़ौ

मणि मधुकर

सबद : तीन

प्रमोद कुमार शर्मा

रूह रा गळियारा

धनपत स्वामी

पिर पीर री

प्रियंका भट्ट

थानै पढ़णो पड़सी रै

सोनी सांवरमल

सबदां रा रामतिया

चंद्रशेखर अरोड़ा

सबद

नीलम पारीक