गाळ पर कवितावां

गाळियां लोक-वै'वार रौ

हिस्सौ है। कदै-कदैई गाळियां काढ'न मिनख भासा सूं आजौ व्है जावै। अठै संकलित कवितावां 'गाळ'विसै सूं जुड़ियोड़ी है।

कविता3

पगफेरौ

मणि मधुकर

जिनावर

नगेन्द्र नारायण किराडू

चुड़लौ

विवेकदीप बौद्ध