दीखै म्हनै

चारूंमेर

जिनावर-ई-जिनावर

जिका नीं जाणै

मा-बेटी-बैन री

ओळखाण

हवस में डूबोड़ा

काम रै मांय आंधा

जिका नीं छोडै

चार बरस, आठ बरस

अर दस बरस री छोरी नै

बणाय लै आपरो भक्ख

खोस लेवै जीणै रो हक्क

इयांरो निसर जावै मानखो

अै तो जिनावर है

जग जाणै आखो।

स्रोत
  • पोथी : हूं क तूं राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : नगेन्द्र नारायण किराडू ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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