अहंकार पर कवितावां

यहाँ प्रस्तुत चयन में

अहंकार विषयक कविताओं को संकलित किया गया है। रूढ़ अर्थ में यह स्वयं को अन्य से अधिक योग्य और समर्थ समझने का भाव है जो व्यक्ति का नकारात्मक गुण माना जाता है। वेदांत में इसे अंतःकरण की पाँच वृत्तियों में से एक माना गया है और सांख्य दर्शन में यह महत्त्व से उत्पन्न एक द्रव्य है। योगशास्त्र इसे अस्मिता के रूप में देखता है।

कविता10

आप तो आप सा!

नवनीत पाण्डे

प्रीत पांण

दुलाराम सहारण

मिनखपणो

राजदीप सिंह इन्दा

करम सांतरा करजै बीरा

कैलाशदान कविया

अटंगी

नवनीत पाण्डे

बात री सरुआत

पारस अरोड़ा

बडा आदमी

प्रदीप भट्ट

रेत मांय रळग्यो

मधु आचार्य 'आशावादी'