प्रीत रौ पावंडौ

ईसकै रै पावंडै सूं डीघौ हुवैI

प्रीत नापै प्रेमी रौ मन...

तौ ईसकौ नापै आखौ संसार

उडणखटोलै री चाल!

प्रीत री हूंस

हुवै स्यांती रौ संदेस!

तौ ईसकौ भरै सतरंगी भाव

आवता-जावताI

ईसकै नै कांई नावड़ सकै

आखी दुनिया रा संज..!

ईसकै री माया

अपरमपार...

ईसका!

थूं तौ थूं है!

प्रीत पांण थांनै

निंवण करां!!

स्रोत
  • सिरजक : दुलाराम सहारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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