द्रोपदी विनय पर सोरठा

सोरठा17

सासू मंत्र ज साज

रामनाथ कविया

लौ या बिरियां लाख

रामनाथ कविया

रूठ असी दै रेस

रामनाथ कविया

भव तूं जाणै भेव

रामनाथ कविया

पंडव जणिया पाँच

रामनाथ कविया

है तूं बाकी हेक

रामनाथ कविया

निलजी कैरव नार

रामनाथ कविया

मिटसी सह मतिमंद

रामनाथ कविया

सकुनी जीते सार

रामनाथ कविया

जोवौ जेठाणीह

रामनाथ कविया

पूत सास रे पांच

रामनाथ कविया

अणह्वैती ह्वै आज

रामनाथ कविया

गंगा मछगंधाह

रामनाथ कविया

बैध्यो मछ जिण बार

रामनाथ कविया

गरडी गंधारीह

रामनाथ कविया

धव म्हारा रणधीर

रामनाथ कविया