खेत ब्रच्छ और हरियाली
रस्किन का एक कथन है — ‘वह विचार भी ईश्वर का कितना महान् था, जब उसने वृक्ष की कल्पना की।’ बिलकुल ठीक। कोई अतिशयोक्ति नहीं। लेकिन स्वयं रस्किन का वह विचार भी इससे कोई कम महान् नहीं था, जिस समय उसने इस वाक्य की रचना की। पर हम शहर के बाबू लोग, कुछ इधर-उधर