व्यंग पर कवितावां

कविता21

बापू रौ बिलम

रेवतदान चारण कल्पित

उच्छब

मणि मधुकर

रस्तौ

मणि मधुकर

आप री माया

मोहन आलोक

अडोळौ उच्छब

रेवतदान चारण कल्पित

अभरोसौ

रेवतदान चारण कल्पित

सुण ओ स्याणां

मणि मधुकर

ठठेरै री जाई

मणि मधुकर

म्हे आया अकल बतावा नै

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

सुवाद

मणि मधुकर

कमरै कमरै

मोहन आलोक

करमां री लकीरां नै

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

दुसासण

मणि मधुकर

लोकराज

रेवतदान चारण कल्पित

अदीतवार

मणि मधुकर

नांवरासी

मणि मधुकर

पांगळी

मणि मधुकर

इण जुग रा इकबार

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

बंस

मणि मधुकर