डूंगर पर कवितावां

पर्वत भू-दृश्य भारतभूमि

की प्रमुख स्थलाकृतिक विशेषताओं में से एक है जो न केवल स्थानीय जीवन और संस्कृति पर अपना विशिष्ट प्रभाव रखता है, बल्कि समग्र रूप से भारत के सांस्कृतिक अनुभवों में भी अपना योगदान करता है। इस चयन में पर्वत-पहाड़ विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता14

‘फौजी’ ने नेता

सत्यनारायण व्यास

पा’ड़, जड़ नी है

वासु आचार्य

प्रीत

गोरधन सिंह शेखावत

डूंगर रौ हियौ

गोरधन सिंह शेखावत

जळ में

राजेश कुमार व्यास

पाणी

पुरुषोत्तम छंगाणी

बोलै सरणाटो

हरीश भादानी

पछै पछै रै उणियार

चन्द्र प्रकाश देवल

बोल डूंगरी...

शैलेन्द्र उपाध्याय

बै अर आपां

निशान्त

मारो अरमान

भागवत कुन्दन

दो भाव

कन्हैयालाल सेठिया

डूंगर रौ हियौ

गोरधन सिंह शेखावत