हास्य पर कुंडलियाँ

हास्य नौ रसों में से

एक रस है। व्यंग्य, प्रहसन, चुटकुले आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इस चयन में हास्य-रस को केंद्र में रखकर संभव हुई कविताओं का संकलन किया गया है।

कुण्डळियौ छंद1

पौढ्या सुख री सेज पै

बुद्धिप्रकाश पारीक