मंदिर पर कवितावां

मंदिर भारतीय सांस्कृतिक

जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द के कविता-संवाद में मंदिर-मस्जिद का उपयोग समूहों और प्रवृत्तियों के रूपक की तरह भी किया गया है। इस चयन विशेष में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जहाँ मंदिर प्रमुख विषय या संदर्भ की तरह आए हैं।

कविता12

नूंई चपलां

राजेन्द्र सिंह चारण

गवर

अर्जुन देव चारण

आस्था

राणुसिंह राजपुरोहित

घर

हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी'

दरसाव

प्रेमजी ‘प्रेम’

घंटी

छत्रपाल शिवाजी

मंदर

प्रदीप भट्ट

भींट

लालचन्द मानव

मिन्दर

राजेन्द्र सिंह चारण

संझ्या : तीन चतराम

प्रेमजी ‘प्रेम’

मांयला ही जाणै

देवीलाल महिया