ज्यूं-ज्यूं आकरा होवै आज रा घससाण
म्हैं सिंवरू बडेरां रा कीरत कमठाण
पण म्हारी मायड़ भोम
अर माटी सारू
वां करतां ईं
म्हारै हियै
ऊंडौ रहठाण।
आ लाखीणी भोम
जठै बगै कळकळता नाळा
दे उछाळा
आप रै जोम
इण जीती अैड़ी धज, अैड़ी सज
अर सदा सारू होयगी अैड़ी रज
कै जिणरौ फगत मिंताई
अर फगत आजादी नाम।
इण नाम नै म्हारा लाख-लाख सिलाम।