ग़ज़ल
राजस्थानी ग़ज़ल आज आम आदमी रै जीवण री ग़ज़ल बणगी। ग़ज़ल में व्यवस्था रै खिलाफ बगावत रा तीखा तेवर अर व्यंग्य रा सुर आं ग़ज़लां में जबरौ दिखै। उणी’ज ग़ज़ल रो चावो राजस्थानी संग्रै अठै है।
राजस्थानी ग़ज़ल आज आम आदमी रै जीवण री ग़ज़ल बणगी। ग़ज़ल में व्यवस्था रै खिलाफ बगावत रा तीखा तेवर अर व्यंग्य रा सुर आं ग़ज़लां में जबरौ दिखै। उणी’ज ग़ज़ल रो चावो राजस्थानी संग्रै अठै है।
प्रयोगां अर नवाचारां नै लेय’र ठावी पिछाण। ‘अमर शहीद’ नाटक पाठ्यक्रम में। रंगमंच सूं गै’रो जुड़ाव। साहित्य अकादेमी सूं पुरस्कृत।