सुशील एम.व्यास जलम: 1956 jodhpur हिन्दी अर राजस्थानी दोनूं भासावां में लेखन। 'जिवा- जूण' राजस्थानी संग्रै।
किणी नै बणाय थूं आपरो, किरकांटियो आपरो रंग देखावै पड़तो पड़तो संभल जा सवालां सूं भरियोड़ी जूण थूं तो खुद रै बारै आ