पड़तो पड़तो संभल जा

अंधारा सूं बचतो जा

दुसमणो म्हैं साथी तलास

मैंण जूं पिघळतो जा

मूंडो मत ना ढेर थूं

गुलाब ज्यूं खिलतो जा

बाग बगीचा है थारा

भंवरो बण थूं गायां जा

भीड रै लारै मत चाल

थूं खुद रा चोळा पलटै जा

फोलिया चिणा सगळा खावै

थूं कोपरिया चबायो जा।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : सुशील एम.व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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