सुशील एम.व्यास जलम: 1956 jodhpur हिन्दी अर राजस्थानी दोनूं भासावां में लेखन। 'जिवा- जूण' राजस्थानी संग्रै।
ग़ज़ल5 किणी नै बणाय थूं आपरो, किरकांटियो आपरो रंग देखावै थूं तो खुद रै बारै आ पड़तो पड़तो संभल जा सवालां सूं भरियोड़ी जूण
जेठानंद पंवार श्यामसुंदर भारती उषाकंवर राठौड़ स्वामी खुसाल नाथ शक्तिदान कविया रेवंत दान बारहठ लालदास 'राकेश' मोहन सिंह रतनू