थूं तो खुद रै बारै

लुळ-लुळ नै थूं देख्यां जा।

मेण गलै ज्यूं गळतो जा

खुद रै खुद सूं बारै आ।

मतना मूंडो ढेर बावरा।

राजी खुसी थूं रै तो जा।

जैडो बाजै बायरो थूं

औट वैडी लेतो जा।

काठै मारग थन्नै बैणो

सूरज ज्यं थूं तपतो जा।

ऊंदा सूंदा दिनड़ा आवै

फौरी काली रातां आवै।

थूं सगलां सूं लड़तो जा

यमराजा नै जीत्यो जा।

अबखो है रै बणो इकसार

थूं गौतम गांधी बण्यो जा।

इब थूं खुद रै बारै

दया धरम अपणायो जा।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : सुशील एम.व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
जुड़्योड़ा विसै