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अंजस सोशल मीडिया
मिनख पर ग़ज़ल
कविता
ग़ज़ल
दूहा
गीत
सोनेट
सोरठा
उद्धरण
कहाणी
काव्य खंड
ग़ज़ल
34
मिनख कैवै है कै दिवाळी है
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
किरकांटियो आपरो रंग देखावै
सुशील एम.व्यास
उचक मत बावळा इतरो, जोबन रो जोर ढळगो है
वीरेन्द्र कुमार लखावत
मिनखां सूं ही जीते मिनख
कासिम अली
घड़ी दो अेक बैठ ज्या घर बारच की बातां करां
रामदयाल मेहरा
थूं तो खुद रै बारै आ
सुशील एम.व्यास
थांनै कुण कह्यो कै कपूत सो लागै
अरविन्द चूरुवी
आ नगरी महाराज रामरी
सवाई सिंह शेखावत
साच समझाव अठै
लालदास 'राकेश'
वागडी ग़ज़ल
छत्रपाल शिवाजी
मनां रै मांय जळ-जळा कोनी
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
महानगर बोध : एक गजल
रामस्वरूप ‘परेश’
मिनख ओळमां सूं देखैला
कविता किरण
वागडी ग़ज़ल
छत्रपाल शिवाजी
मत चिलकावै ठाठ भायला
जयकुमार ‘रुसवा’
माणस
कुलदीप पारीक 'दीप'
आंध्यां चालै है इन्कलाब री
असद अली ‘असद’
देख तो कतनी अंधारी रात है
हेमन्त गुप्ता पंकज
तन सूरज रौ काळौ कित्तौक
पुरुषोत्तम छंगाणी
मिनख मिनख रो बैरी क्यूं है
शंकरलाल स्वामी
काजळ री कोटड़ी कुण बचै भाया
विनोद सोमानी 'हंस'
फूल हां तोडौ, मसळदौ, फेंकदौ
सत्येन जोशी
वागड़ी ग़ज़ल
छत्रपाल शिवाजी
आदमी रो आज है, गवाळ आदमी
लालदास 'राकेश'
म्हैं जाणू के म्हारौ राम
लालदास 'राकेश'
सड़क रै जणा-जणा नैं देख
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
मनवा यूं मगरूरी मत कर
रतन सिंह चांपावत
हाकम खुद होवे है, चांदी रो चिळको
लालदास 'राकेश'
उतर्यो उतर्यो चेहरो लागै
शंकरलाल स्वामी
मायड़ रा बोल
रतन सिंह चांपावत
जद बाड़ ही खेत नै खावै
कुलदीप पारीक 'दीप'
हाय! कितरो अठै अंधारो है
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
हियै में हेत उपजायां, मिनख री जात परखीजै
मोहम्मद सदीक
मिनख जमारो खोटो भाई
आशा पाण्डेय ओझा