रामेश्वर दयाल श्रीमाली
ख्यात कवि-कहाणीकार। केंद्रीय साहित्य अकादमी सूं सम्मानित।
ख्यात कवि-कहाणीकार। केंद्रीय साहित्य अकादमी सूं सम्मानित।
आज म्हारो गांवडो बीमार क्यूं दीसै
आफतां बीच अड़ग जीवूं हूं
गजल रै मांय लाय राखूंला
हाय! कितरो अठै अंधारो है
जोर भूखां रो आजमावण नैं
किण मद छकी रै मोह री मनवार है गज़ल
किण मद-छकी रै मोह री मनवार है गजल?
मनां रै मांय जळ-जळा कोनी
मिनख कैवै है कै दिवाळी है
सड़क रै जणा-जणा नैं देख
सुख री घड़ी सस्ती कठै
विडरंगा सपना है आंख्यां रो साच