रामदयाल मेहरा जलम: 1962 udaipur kota राजस्थानी कवितावां अर ग़ज़ल में लेखणी सवाई। राजस्थान साहित्य अकादमी में लगोलग सेवा।
बड़बोलां रो जोर भायला अेक काळम्या को ही घेरो घड़ी दो अेक बैठ ज्या घर बारच की बातां करां काका हीरा जी कविता जनवादी लिखदे महल मेढ्यां और के बांधै रतन जी निज भोगी पर बीती कह तूं वांका ही मजबूत घरबार छै