आभै में घटावां कोई गा रह्यो गजल इब भेळा परिवार कठै है इण आस में जीणो पड़ै संसार बदळसी मन में साची प्रीत अठै है मिनख मिनख रो बैरी क्यूं है प्रीत रो दुसमण जमानो है तो है उतर्यो उतर्यो चेहरो लागै