ग़ज़ल7 आभै में घटावां कोई गा रह्यो गजल इण आस में जीणो पड़ै संसार बदळसी इब भेळा परिवार कठै है मन में साची प्रीत अठै है मिनख मिनख रो बैरी क्यूं है